NCERT Class 10th SST Chapter 1 यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय BEST Notes

NCERT Class 10th SST Chapter 1

NCERT Class 10th SST Chapter 1 यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय best Notes फ्रांस की क्रान्ति

भारत और समकालीन विश्व-2 (इतिहास)

खण्ड – I : घटनाएँ और प्रक्रियाएँ

1. यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय

1. 1789 ई. की फ्रांसीसी क्रान्ति और राष्ट्र का विचार- राष्ट्रवाद की प्रथम स्पष्ट अभिव्यक्ति 1789 ई . की फ्रांस की क्रान्ति के साथ हुई । इस क्रान्ति के फलस्वरूप प्रभुसत्ता राजतन्त्र से निकल कर फ्रांसीसी नागरिकों में केन्द्रित हो गई । इस क्रान्ति में फ्रांसीसी क्रान्तिकारियों ने ऐसे अनेक कदम उठाए जिनसे फ्रांसीसी लोगों में एक सामूहिक पहचान की भावना उत्पन्न हो सकती थी, जैसे पितृभूमि, नागरिक, फ्रांसीसी तिरंगा झंडा, इस्टेट जनरल का नाम बदलकर नेशनल असेंबली करना, शहीदों का गुणगान आदि ।

1.1 फ्रांस की सेनाओं का अन्य राष्ट्रों में प्रवेश- जब फ्रांस की घटनाओं की खबर यूरोप के विभिन्न शहरों में पहुंची तो छात्र तथा शिक्षित मध्य वर्गों के अन्य सदस्य जैकोबिन क्लबों की स्थापना करने लगे । उनकी गतिविधियों और अभियानों से उन फ्रेंच सेनाओं के लिए रास्ता तैयार किया जो 1790 के दशक में हालैंड, बेल्जियम, स्विट्जरलैंड और इटली के बड़े इलाके में घुसीं और राष्ट्रवाद के विचार को भी विदेशों में ले जाने लगीं ।

1.2 नेपोलियन बोनापार्ट- नेपोलियन बोनापार्ट ने अपने नियंत्रण वाले फ्रांस के विशाल क्षेत्र में राजतंत्र को वापस लाकर प्रजातंत्र को नष्ट किया, लेकिन प्रशासन के क्षेत्र में क्रांतिकारी सिद्धान्तों का समावेश किया । उसने 1804 ई. में ‘नागरिक संहिता’ का निर्माण करवाया, जो ‘नेपोलियन संहिता’ के नाम से प्रसिद्ध है । इस संहिता में कानून के समक्ष समानता तथा सम्पत्ति के अधिकार को सुरक्षित बनाया । इस संहिता को फ्रांसीसी नियन्त्रण के अधीन क्षेत्रों में भी लागू किया गया । लेकिन इन क्षेत्रों के स्थानीय लोगों ने पाया कि ये नयी प्रशासनिक व्यवस्थाएँ राजनीतिक स्वतंत्रता के अनुरूप नहीं थी ।

2. यूरोप में राष्ट्रवाद का निर्माण- मध्य 18वीं सदी में आज के जर्मनी, इटली और स्विट्जरलैण्ड जैसे राष्ट्र-राज्य राजशाहियों, डचियों और कैंटनों में बँटे थे, जिनके शासकों के स्वायत्त क्षेत्र थे । पूर्वी और मध्य यूरोप निरंकुश राजतंत्रों के अधीन थे और इन इलाकों में तरह-तरह के लोग रहते थे, उनकी अलग-अलग भाषाएं थीं तथा वे विभिन्न जातीय समूहों के सदस्य थे । इन तरह-तरह के समूहों को आपस में बाँधने वाला तत्त्व, केवल सम्राट के प्रति सबकी निष्ठा थी ।

2.1 कुलीन वर्ग और नया मध्य वर्ग- यूरोपीय महाद्वीप में कुलीन वर्ग सर्वाधिक शक्तिशाली वर्ग था, लेकिन यह एक छोटा समूह था । कुलीन वर्ग के लोग ग्रामीण इलाकों में जायदाद और शहरों में हवेलियों के मालिक थे । राजनीतिक कार्यों व उच्च वर्गों के बीच ये फ्रेंच भाषा का प्रयोग करते थे । जनसंख्या के अधिकांश कृषक थे । औद्योगिक उत्पादन एवं व्यापार में वृद्धि होने से विभिन्न शहरों में नये सामाजिक वर्गों का जन्म हुआ । ये थे-श्रमिक वर्ग और मध्य वर्ग । कुलीन वर्ग को प्राप्त विशेषाधिकारों की समाप्ति के बाद शिक्षित और उदारवादी मध्य वर्गों के बीच राष्ट्रीय एकता के विचारों का प्रचार-प्रसार हुआ ।

2.2 उदारवादी राष्ट्रवाद के मायने- यूरोप के नवीन मध्य वर्ग के लिए उदारवाद का अर्थ था— लोगों के लिए स्वतंत्रता और कानून के समक्ष सभी की समानता । फ्रांसीसी क्रान्ति के पश्चात् से ही उदारवादी वर्ग राजनीतिक क्षेत्र में संविधान, संसदीय लोकतंत्र, प्रतिनिधि सरकार का समर्थक था तथा आर्थिक क्षेत्र में बाजारों की मुक्ति, व्यापार पर राज्य के नियंत्रणों की समाप्ति के पक्ष में था ।

2.3 1815 के बाद एक नया रूढ़िवाद- 1815 में नेपोलियन की हार के बाद वियना सम्मेलन के प्रतिनिधियों ने 1815 की वियना-सन्धि तैयार की जिसका उद्देश्य उन समस्त परिवर्तनों को समाप्त करना था जो नेपोलियन के युद्धों के दौरान हुए थे । इस सम्मेलन ने यूरोप में एक नई रूढ़िवादी व्यवस्था स्थापित कर दी, जिसमें पारम्परिक संस्थाओं- चर्च, सामाजिक भेदभाव, राजतंत्र और परिवार को बनाये रखा गया । वियना संधि के तहत बूर्बों राजवंश को शासन करने का पुनः अधिकार दे दिया गया । इस काल में रूढ़िवादी व्यवस्था के आलोचक उदारवादी राष्ट्रवादी लोग प्रेस की स्वतंत्रता चाहते थे ।

2.4 क्रांतिकारी- ज्युसेपे मेत्सिनी इटली का एक महान् क्रान्तिकारी था । उसने ‘यंग इटली’ तथा ‘यंग यूरोप’ नामक दो संस्थाओं की स्थापना की । उसने एकीकृत इटली के गणराज्य के लिए एक कार्यक्रम प्रस्तुत किया ।

3. क्रान्तियों का युग : 1830-1848- फ्रांस में जुलाई, 1830 में क्रान्ति का सूत्रपात हुआ, जिसके फलस्वरूप वहाँ बूर्बो राजा की सत्ता को उखाड़कर एक संवैधानिक राजतन्त्र की स्थापना हुई । 1821 में यूनानियों ने आटोमन साम्राज्य के विरुद्ध स्वतन्त्रता के लिए संघर्ष शुरू कर दिया और अन्त में 1832 की कुस्तुनतुनिया की संधि ने यूनान को एक स्वतन्त्र राष्ट्र की मान्यता दी ।

3.1 रूमानी कल्पना और राष्ट्रीय भावना- राष्ट्र के विचार के निर्माण में संस्कृति ने एक अहम् भूमिका निभाई । कला, काव्य, कहानियों-किस्सों और संगीत ने राष्ट्रवादी भावनाओं को गढ़ने और व्यक्त करने में सहयोग दिया । रूमानीवाद एक ऐसा सांस्कृतिक आंदोलन था जिसने तर्क-वितर्क और विज्ञान के स्थान पर भावनाओं, अन्तर्दृष्टि और रहस्यवादी भावनाओं पर जोर दिया तथा एक साझा सामूहिक विरासत की अनुभूति व एक साझा सांस्कृतिक अतीत को राष्ट्र का आधार बनाने पर बल दिया । भाषा ने भी राष्ट्रीय भावनाओं के विकास में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई तथा पोलिश भाषा रूसी प्रभुत्व के विरुद्ध संघर्ष के प्रतीक के रूप में देखी जाने लगी ।

3.2 भूख, कइिनाइयाँ और जन विद्रोह-19वीं सदी के प्रारंभ में यूरोप में जनसंख्या में हुई भारी वृद्धि, नगरों में भीड़-भरी गरीब बस्तियों का बनना, इंग्लैंड से आयातित कपड़े से बढ़ती प्रतिस्पर्द्धा, कृषकों का सामन्ती शुल्कों और जिम्मेदारियों के तले दबना आदि कठिनाइयाँ बढ़ीं । 1845 में सिलेसिया में बुनकरों ने ठेकेदारों के विरुद्ध विद्रोह किया तथा 1848 में व्यापक बेरोजगारी के कारण पेरिस के लोग सड़कों पर उतर आए और राष्ट्रीय सभा गणतंत्र की घोषणा करते हुए पुरुषों को वयस्क मताधिकार तथा काम के अधिकार की गारंटी दी ।

3.3 1848 : उदारवादियों की क्रांति- फरवरी, 1848 में फ्रांस में पुनः क्रान्ति का सूत्रपात हुआ और वहाँ गणतन्त्र की स्थापना हुई । जर्मन इलाकों में भी 1848 में क्रान्तियाँ हुई । फ्रेंकफर्ट की संसद ने एक जर्मन राष्ट्र के लिए एक संविधान का प्रारूप तैयार किया । जब निर्वाचित प्रतिनिधियों ने प्रशा के सम्राट फ्रेडरीख विल्हेम चतुर्थ को ताज पहनाने का प्रस्ताव किया, तो उसने उसे अस्वीकार कर निर्वाचित सभा के विरोधियों का साथ दिया । इस प्रकार राष्ट्रवादियों तथा उदारवादियों को असफलता का मुँह देखना पड़ा ।

4. जर्मनी और इटली का निर्माण-

4.1 जर्मनी का एकीकरण 1848 में मध्य वर्ग के जर्मन राष्ट्रवादी लोगों ने जर्मन महासंघ के विभिन्न इलाकों को जोड़कर एक निर्वाचित संसद द्वारा शासित राष्ट्र-राज्य बनाने का प्रयास किया था, लेकिन इस पहल के राजशाही और फौज की ताकत ने मिलकर दबा दिया । इसके पश्चात् जर्मनी के राष्ट्रवादियों ने प्रशा के नेतृत्व में जर्मनी के एकीकरण के लिए आन्दोलन शुरू किया । प्रशा के प्रधानमन्त्री ऑटो वॉन बिस्मार्क ने ‘लौह और रक्त’ की नीति अपनाई और सात वर्ष की अवधि में डेन्मार्क, आस्ट्रिया और फ्रांस को पराजित कर जर्मनी का एकीकरण पूरा किया । जनवरी, 1871 में नए जर्मन साम्राज्य की घोषणा की गई तथा प्रशा के राजा विलियम प्रथम को जर्मनी का सम्राट घोषित किया गया ।

4.2 इटली का एकीकरण- 19वीं सदी के मध्य में इटली अपने एकीकरण से पूर्व सात राज्यों में विभाजित था । इटली के क्रान्तिकारी नेता ज्युसेपे मेत्सिनी ने इटली के एकीकरण के लिए 1830 के दशक में ‘यंग इटली’ नामक एक गुप्त संगठन की स्थापना की । उसने इटलीवासियों में राष्ट्रीयता की भावनाओं का प्रसार किया । सार्डीनिया-पीडमांट के प्रधानमन्त्री कावूर ने फ्रांस की सहायता से 1859 में आस्ट्रिया को पराजित किया । नियमित सैनिकों के अलावा ज्युसेपे गैरीबाल्डी के नेतृत्व में भारी संख्या में सशस्त्र स्वयंसेवकों ने इस युद्ध में हिस्सा लिया । 1860 में उसने अपने सशस्य स्वयंसेवकों को लेकर सिसली और नेपल्स पर आक्रमण किया और उन पर अधिकार कर लिया । 1861 में इमेनुएल द्वितीय को एकीकृत इटली का राजा घोषित किया गया ।

4.3 ब्रिटेन की अजीब दास्तान- इंग्लैण्ड में 1698 ई. में एक क्रान्ति हुई जिसके फलस्वरूप इंग्लैण्ड की संसद ने राजतन्त्र की शक्ति छीन ली और इस संसद के माध्यम से एक राष्ट्र-राज्य का निर्माण हुआ जिसके केन्द्र में इंग्लैण्ड था । 1707 में इंग्लैण्ड और स्काटलैण्ड के बीच ‘एक्ट ऑफ यूनियन’ से ‘यूनाइटेड किंग्डम ऑफ ग्रेट ब्रिटेन’ का गठन हुआ । इसके बाद ब्रिटिश संसद में आंग्ल सदस्यों का प्रभुत्व स्थापित हुआ । 1801 में आयरलैण्ड को बलपूर्वक यूनाइटेड किंग्डम में सम्मिलित कर लिया गया । एक नवीन ‘ब्रितानी राष्ट्र’ का निर्माण किया गया जिस पर हावी आंग्ल-संस्कृति का प्रचार-प्रसार किया गया ।

5. राष्ट्र की दृश्य-कल्पना- 18वीं तथा 19वीं शताब्दी में कलाकारों ने एक देश को इस प्रकार चित्रित किया । जैसे वह कोई व्यक्ति हो । उस समय राष्ट्रों को नारी भेष में प्रस्तुत किया जाता था । फ्रांस में मारीआन नामक महिला को राष्ट्र के रूप़क के रूप में चित्रित किया गया । उसके चिह्न भी स्वतंत्रता और गणतंत्र के थे- लाल टोपी, तिरंगा और कलंगी । इसी प्रकार जर्मेनिया जर्मन राष्ट्र का रूपक बन गई । जर्मेनिया बलूत वृक्ष के पत्तों का मुकुट पहनती है क्योंकि जर्मन बलूत वीरता का प्रतीक है ।

6. राष्ट्रवाद और साम्राज्यवाद- उन्नीसवीं शताब्दी की अन्तिम चौथाई तक राष्ट्रवाद सीमित लक्ष्यों वाला संकीर्ण सिद्धान्त बन गया था । 1871 के बाद यूरोप में गंभीर राष्ट्रवादी तनाव का स्रोत बाल्कन क्षेत्र था । इस क्षेत्र में भौगोलिक और जातीय भिन्नता थी । बाल्कन क्षेत्र का एक बड़ा हिस्सा ऑटोमन साम्राज्य के नियंत्रण में था । ऑटोमन साम्राज्य के विघटन तथा बाल्कन क्षेत्र में राष्ट्रवाद की प्रबलता के कारण बाल्कन क्षेत्र की अनेक जातियाँ तुर्की-साम्राज्य के चंगुल से स्वतन्त्र होने के लिए संघर्ष करने लगीं । अनेक यूरोपीय राष्ट्रीयताओं ने ऑटोमन-साम्राज्य के चंगुल से निकल कर स्वतन्त्रता की घोषणा कर दी ।

दूसरी ओर बाल्कन-राज्य एक-दूसरे से घृणा करते थे । इसके अतिरिक्त बाल्कन क्षेत्र में बड़ी शक्तियों के बीच प्रतिस्पर्द्धा शुरू हो गई । इसके फलस्वरूप बाल्कन क्षेत्र में कई युद्ध हुए और अन्ततः प्रथम विश्व-युद्ध हुआ ।

                       महत्त्वपूर्ण तिथियाँ एवं घटनाएँ
क्रं. सं. तिथिघटनाएँ
1.1688 ई.आंग्ल सांसद ने राजतंत्र से ताकत छीन ली एवं एक-राष्ट्र राज्य का निर्माण हुआ ।
2.1707 ई.इंग्लैण्ड और स्कॉटलैण्ड के बीच एक्ट ऑफ यूनियन (1707) से यूनाइटेड किंग्डम ऑफ ग्रेट ब्रिटेन गठन ।
3.1789 ई.फ्रांस की क्रान्ति ।
4.1797 ई.नेपोलियन का इटली पर हमला ; नेपोलियाई युद्धों की शुरुआत ।
5.1801 ई.आयरलैंड को बलपूर्वक यूनाइटेड किंग्डम में शामिल किया गया ।
6.1804 ई.फ्रांस में नागरिक संहिता (नेपोलियन संहिता) का निर्माण ।
7.1814-1815 ई.नेपोलियन का पतन, वियना शांति संधि ।
8.1821 ई.यूनानी स्वतंत्रता के लिए संघर्ष प्रारंभ ।
9.1807 ई.इटली का क्रांतिकारी ज्युसेपी मेत्सिनी का जन्म ।
10.1830 ई.फ्रांस में जुलाई विद्रोह ।
11.1831 ई.रूस के विरुद्ध सशस्त्र विद्रोह ।
12.1832 ई.कुस्तुनतुनिया की संधि ने यूनान को एक स्वतंत्र राष्ट्र की मान्यता दी ।
13.1833 ई.बर्न में यंग यूरोप की स्थापना ।
14.1834 ई.प्रशा की पहल पर एक शुल्क संघ जॉलवेराइन की स्थापना ।
15.1848 ई.फ्रांस में क्रान्ति, आर्थिक परेशानियों से ग्रस्त कारीगरों, औद्योगिक मजदूरों और किसानों की बगावत, मध्य वर्ग संविधान और प्रतिनिध्यात्मक सरकार के गठन की माँग, इतालवी, जर्मन, मैंग्यार, पोलिश, चेक आदि राष्ट्र-राज्यों की माँग की ।
16.1859-1870 ई.इटली का एकीकरण ।
17.1861 ई.इमेनुएल द्वितीय को एकीकृत इटली का राजा घोषित ।
18.1866-1871 ई.जर्मनी का एकीकरण ।
19.1871 ई.वर्साय के हुए एक समारोह में प्रशा के राजा विलियम प्रथम को जर्मनी का सम्राट घोषित किया गया ।
20.1905 ई.हैब्सवर्ग और ऑटोमन साम्राज्यों में स्लाब राष्ट्रवाद मजबूत ।
21.1914 ई.प्रथम विश्वयुद्ध प्रारंभ ।                                                                              

आंग्ल सांसद ने राजतंत्र से ताकत कब छीन ली एवं एक-राष्ट्र राज्य का निर्माण हुआ ?

आंग्ल सांसद ने राजतंत्र से ताकत 1688 ई. में छीन ली एवं इसी समय एक-राष्ट्र राज्य का निर्माण हुआ ।

इंग्लैण्ड और स्कॉटलैण्ड के बीच एक्ट ऑफ यूनियन से यूनाइटेड किंग्डम ऑफ ग्रेट ब्रिटेन गठन कब हुआ ?

इंग्लैण्ड और स्कॉटलैण्ड के बीच एक्ट ऑफ यूनियन से यूनाइटेड किंग्डम ऑफ ग्रेट ब्रिटेन गठन 1707 ई. में हुआ ।

फ्रांस की क्रान्ति कब हुई ?

फ्रांस की क्रान्ति 1789 ई. में हुई ।

नेपोलियाई युद्धों की शुरुआत कब हुई ?

नेपोलियाई युद्धों की शुरुआत 1797 ई. में हुई ।

आयरलैंड को बलपूर्वक यूनाइटेड किंग्डम में कब शामिल किया गया ?

1801 ई.में आयरलैंड को बलपूर्वक यूनाइटेड किंग्डम में शामिल किया गया ।

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