8.1 Best Rajasthan ke lokdevta

Best Rajasthan ke lokdevta

लोगों में भक्ति का प्रचलन प्राचीनकाल से चला आ रहा है । इस लिए लोग किसी न किसी को देवी देवता के रूप में पूजते है । इसी प्रकार राजस्थान में भी राजस्थान के लोग अपने देवता एवं देवियों को भी पूजते है । राजस्थान के लोक देवता और देवियाँ (राजस्थान के प्रमुख लोक देवता एवं देवी) कई है । देवताओं में राजस्थान में 5 पंचपीर (राजस्थान के पंचपीर) है । गोगाजी, पाबूजी, मेहाजी, रामदेवजी और हड़बूजी । 

 Best Rajasthan ke lokdevta

हड़बूजी

• हड़बूजी का जन्म भूडोल (नागौर) में हुआ था ।
• मेहाजी सांखना के पुत्र थे ।
• सांखला जाति के राजपूत हड़बूजी के पुजारी होते हैं ।
• हड़बूजी रामदेव जी का मौसेरा भाई था ।
• हड़बूजी के गुरु ‘बाली नाथ’ थे ।
• हड़बूजी मारवाड़ के शासक राव जोधा के समकालीन था ।
• राव जोधा ने हड्डू जी के आशीर्वाद से मण्डोर (जोधपुर) को जिता था ।
• हड़बूजी ‘शंकुन शास्त्र’ के ज्ञाता थे ।
• हड़बूजी संन्यासी, योगी तथा वीर योद्धा थे ।
• मन्दिर :- हड़बूजी का मन्दिर बेंगटी (जोधपुर) में है । हड़बूजी के मन्दिर का निर्माण ‘अजीत सिंह’ ने करवाया था । हड़बूजी एकमात्र लोकदेवता है, जिसकी गाड़ी की पूजा की जाती है ।

माम देव (मामा देव)

• माम देव बरसात का लोकदेवता है ।
• माम देव का मन्दिर गाँव के बाहर मुख्य मार्ग पर होता है ।
• माम देव एकमात्र लोक देवता है, जिसकी लकड़ी के तोरण से पूजा करते है ।
• माम देव को भैंस की बली दी जाती है ।

देव बाबा

• देव बाबा का मन्दिर नगला जहाज (भरतपुर) में है ।
• देव बाबा गुर्जर व ग्वालों का लोक देवता है ।
• देव बाबा पशु चिकित्सा का ज्ञाता था ।
• देव बाबा एकमात्र लोक देवता है, जिसने मरने के बाद भी अपनी ‘बहन का मायरा’ भरा ।

वीर बीग्गाजी

• वीर बीग्गाजी जाखड़ जाति का लोक देवता है ।
• वीर बीग्गाजी ने गायों की रक्षा की और वीरगति को प्राप्त हुए ।
• वीर बीग्गाजी के मन्दिर बीकानेर में है ।

वीर कल्लाजी

• वीर कल्लाजी का जन्म मेड़ता (नागौर) राठौड़ वंश में हुआ था ।
• वीर कल्लाजी को बाल बह्मचारी लोक देवता भी कहते है ।
• इनको शेषनाग का अवतार मानते है ।
• वीर कल्लाजी जड़ी-बुटी के ज्ञाता थे ।
• इनकी छतरी चित्तौड़गढ़ में है ।
• वीर कल्लाजी सर्वाधिक बांसवाड़ा में पूजे जाते है ।
• इनको चार हाथों तथा दो सिरो वाला लोकदेवता कहते है ।
• वीर कल्लाजी ने युद्ध में अपने ताऊ जयमल को अपने कंधों पर बिठाया और अकबर से युद्ध किया ।
• वीर कल्लाजी ऐसे लोकदेवता है, जो बारात सीधे ही युद्ध भूमि में पहुँचे ।

तेजाजी

• तेजाजी नागवंशीय थे ।
• तेजाजी का गोत्र धौल्या जाट थी ।
• इनका जन्म खड़नाल (नागौर) 1074 ई॰वी॰ में हुआ था ।
• तेजाजी के पिता ‘ताहड़जी’ तथा माता ‘राजकंवरी’ थे ।
• इनकी पत्नी ‘प्रेमल दे’ तथा घोडी ‘लीलण (सिणगारी)’ थी ।
• इनका मेला भाद्रपद शुक्ल दशमी को लगता है ।
• इनका कार्यक्षेत्र बांसी दुगारी (बूंदी) है ।
• तेजाजी ने लाछा गुजरी की गायों की रक्षा मेर के मीणाओं (सिरोही) से की ।
• इनको ‘गायों का मुक्तिदाता’ कहते है ।
• इनको सर्पों के देवता के रूप में पूजते है ।
• इनको काला-बाला व कृषि उपकारक देवता कहते है ।
• इनकी मृत्यु सुरसरा नामक (अजमेर) स्थान पर हुई ।
• इनके सर्वाधिक मन्दिर/ पूजा स्थल अजमेर है ।
• इनके मन्दिर को ‘थान’ कहते है ।
• इनके पुजारी को ‘घोडल्या’ कहते है ।
• परबतसर पशु मेला (नागौर) तेजाजी की याद में लगता है ।
• राजस्थान का सबसे बड़ा पशु मेला परबतसर पशु मेला है ।
• राजस्थान सरकार को पशु मेलो से सर्वाधिक आय परबतसर पशु मेले से प्राप्त होती है ।
• राजस्थान में सर्वाधिक पशु मेलों का आयोजन नागौर में होता है ।

डुंगजी-जवाहरजी

• डुंगजी-जवाहरजी का सम्बन्ध सीकर जिले से है ।
• डुंगजी-जवाहरजी आपस में चाचा भतीजे थे ।
• डुंगजी-जवाहरजी अमीरों को लुटकर गरीबों में बाँट देते थे ।
• डुंगजी-जवाहरजी गरीबों के देवता कहलाते थे ।
• डुंगजी-जवाहरजी को ‘शेखावाटी क्षेत्र का रॉबिन हुड’ कहा जाता है ।
• डुंगजी-जवाहरजी ने आउवा ठिकाने (पाली) व नसीराबाद (अजमेर) छावनी को भी लुटा ।

देवनारायण जी

• इनका बचपन का नाम उदयसिंह था ।
• देवनारायण जी गुजरों के लोक देवता है ।
• इनको विष्णु का अवतार मानते है ।
• इनके पिता ‘सवाई भोज’ तथा माता ‘सेडु खटाणी’ थे ।
• इनकी पत्नी ‘पीपलदे’ थी ।
• इनका घोड़ा ‘लीलागर’ था ।
• इनको ईंट के रूप में पूजा जाता है ।
• इनको छाछ-राबड़ी का भोग लगाया जाता है ।
• इनका जन्म आसीन्द (भीलवाड़ा) में हुआ ।
• देवनारायण जी एकमात्र ऐसे लोकदेवता है, जिसकी ईंटों से पुजा की जाती है ।
• इनकी पूजा में नीम का व गोबर का औषधिय महत्व बताया ।
• इनका मन्दिर आसींद (भीलवाड़ा), देवधाम जोधपुरिया (टोंक), देवमाली (ब्यावर) में है ।
• देवमाली (ब्यावर, अजमेर) में देवनारायण जी की समाधी ली थी ।
• इनकी फड़ सबसे लम्बी, छोटी, प्राचीन, सर्वाधिक चित्रांकन वाली है ।
• देवनारायण जी एकमात्र लोकदेवता है, जिनकी फड़ पर डाक टिकट 2 सितम्बर 1992 को जारी की गई ।
• इनको ‘राज्य क्रान्ति का जनक’ माना जाता है ।
• इनको चमत्कारी पुरुष भी कहते है ।

पनराज जी

• पनराज जी का मन्दिर जैसलमेर में है ।
• पनराज जी ने काठोली ग्राम के ब्रह्मणों की गायों की रक्षा की थी ।
• पनराज जी का बचपन गायों में गुजरा था ।

भौमिया जी

• भौमिया जी को भूमि रक्षक लोक देवता कहते हैं ।
• भौमिया जी को क्षेत्र पाल भी कहते है ।

मल्लीनाथ जी

• मल्लीनाथ जी ने कुण्डा पंथ की स्थापना की ।
• मल्लीनाथ जी का मन्दिर तिलवाड़ा (बाड़मेर) में है ।
• राजस्थान का सबसे प्राचीन पशु मेला मल्लीनाथ पशु मेला है, जो तिलवाड़ा में लगता है ।
• मल्लीनाथ ने मालवा के शासक निजामुद्दीन के साथ युद्ध किया ।

तल्लीनाथ जी

• तल्लीनाथ जी का वास्तविक नाम गांगदेव राठौड़ था ।
• तल्लीनाथ जी के गुरु जालन्धर नाथ थे ।
• तल्लीनाथ जी के मन्दिर पंचमुखी पहाड़ी पाँचोटा गाँव (जालौर) में है ।
• तल्लीनाथ जी के मन्दिर के आसपास के क्षेत्र को ‘ओरण’ कहते है ।
• तल्लीनाथ जी एकमात्र लोकदेवता है, जिसने वृक्ष काटने पर रोक लगाई ।

भूरिया बाबा

• भूरीया बाबा मीणाओं का लोकदेवता है ।
• मीणा जाति के लोग भूरीया बाबा की झूठी कसम नहीं खाते है ।
• वर्दीधारी पुलिस वाले भूरीया बाबा के मन्दिर में प्रवेश वर्जित है ।
• भूरिया बाबा को शौर्य का प्रतिक माना जाता है ।
• भूरिया बाबा का मन्दिर प्रतापगढ़, पाली, सिरोही में है ।
• गोडवाड़ क्षेत्र के मीणाओं का अराध्य लोक देवता भूरिया बाबा है ।

इलोह जी

• इलोह जी छेड़छाड़ का लोक देवता है ।
• इलोह जी को मारवाड़ क्षेत्र में पूजा जाता है ।
• इलोह जी की होली के अवसर पर पूजा की जाती है ।

वीर फत्ताजी

• वीर फत्ताजी का मन्दिर साथू गाँव (जालौर) में है ।
• वीर फत्ताजी शस्त्र विद्या के ज्ञाता थे ।

बाबा झुंझार जी

• बाबा झुंझार जी राजपूत जाति के थे ।
• बाबा झुंझार जी का जन्म इमलोहा गाँव सीकर में हुआ था ।
• बाबा झुंझार जी का मन्दिर स्यालोदरा गाँव (सीकर) में था ।
• स्यालोदरा गाँव में तीन भाईयों तथा दूल्हा – दुल्हन की पाँच प्रशस्ति लगी हुई है ।

केसरिया कंवर जी

• केसरिया कंवर जी गोगा जी के पुत्र थे ।
• केसरिया कंवर जी सर्पदश से पीहित व्यक्ति का इलाज करते थे ।
• केसरिया कंवर जी को सफेद रंग का ध्वज चढ़ाया जाता है ।

रूपनाथ (झरड़ा)

• रूपनाथजी ने अपने चाचा (पाबू जी) व अपने पिता (बुढों जी) की मौत का बदला जिन्दराव खींची को मारकर लिया ।
• रूपनाथ जी को हिमाचल में बालक नाथ के नाम से पूजा जाता है ।
• रूपनाथ जी का मन्दि कोलमुण्ड (जोधपुर) में और सिम्भुदड़ा (बीकानेर) में है ।

आलम जी

• आलम जी जेतमालोत राठोड़ थे ।
• आलम जी का मन्दिर ‘आलमजी का धौरा’ बाड़मेर में है ।
• आलमजी का धौरा पर घोड़ों का तीर्थ स्थान है ।

Board of Secondary Education – Download Books

राजस्थान का एकीकरण

Spread the love

1 thought on “8.1 Best Rajasthan ke lokdevta”

  1. Pingback: 8 राजस्थान के लोक देवता - Be Notesi

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *