Know best Rajasthan (आओ राजस्थान राज्य को जाने)
राजस्थान भारत देश का एक बड़ा राज्य है । इसको जानने के लिए हम राजस्थान पर एक नजर डालते है ।
राजस्थान का नाम वाल्मिकी ने रामायण में मरूकान्तार कहा है और बसंतगढ़ (सिरोही) शिलालेख में राजस्थान के लिए राजस्थानीदित्या शब्द का प्रयोग किया । राजस्थान का क्षेत्रफल भारत के सभी राज्यों के क्षेत्रफल से बड़ा है । इसकी आकृति पतंगाकार अर्थात् एक विषम कोणीय चतुर्भुज के समान है । कर्क रेखा राजस्थान के डूँगरपुर और बाँसबाड़ा जिलों को स्पर्श करती है । राजस्थान का भौतिकता में राजस्थान की उत्पत्ति, राजस्थान का मरुस्थल, राजस्थान का थार का घड़ा, राजस्थान की अरावली पर्वतमाला, राजस्थान का मैदान और राजस्थान के दक्षिणी पठारी भाग आते है । राजस्थान की जलवायु को वर्षा, सर्दी और गर्मी प्रभावित करती है । राजस्थान में शीत ऋतु में मावठ वर्षा होती है और गर्मीयों में लू चलती है । राजस्थान की जलवायु को पाँच भागों में बाँटा जा सकता है । 1. शुष्क जलवायु प्रदेश 2. अर्द्धशुष्क जलवायु प्रदेश 3. आर्द्ध जलवायु प्रदेश 4. उपार्द्ध जलवायु प्रदेश 5. अति आर्द्ध जलवायु प्रदेश । 19 देशी रियसती को एकीकृत करके राजस्थान का एकीकरण पूरा किया । राजस्थान का एकीकरण 7 चरणों में पूरा हुआ । राजस्थान की राजधानी जयपुर को बनाया । राजस्थान में संभाग 7 है । अजमेर संभाग, बीकानेर संभाग, कोटा संभाग, भरतपुर संभाग, उदयपुर संभाग, जोधपुर संभाग और जयपुर संभाग है । राजस्थान में 20 प्रजामण्डल है । जिनमें जयपुर प्रजामण्डल, बूँदी प्रजामण्डल, हाड़ौती प्रजामण्डल, मारवाड़ प्रजामण्डल, धौलपुर प्रजामण्डल, बीकानेर प्रजामण्डल, शाहपुरा प्रजामण्डल, भरतपुर प्रजामण्डल, मेवाड़ प्रजामण्डल, अलवर प्रजामण्डल, कोटा प्रजामण्डल, करौली प्रजामण्डल, किशनगढ़ प्रजामण्डल, सिरोही प्रजामण्डल, प्रतापगढ़ प्रजामण्डल, जैसलमेर प्रजामण्डल, बांसबाड़ा प्रजामण्डल, कुशलगढ़ प्रजामण्डल, डूँगरपुर प्रजामण्डल, और झालावाड़ प्रजामण्डल है । गोगाजी, पाबूजी, मेहाजी, रामदेवजी और हड़बू जी ये राजस्थान के पंचपीर है । मामदेव, देवबाबा, वीरबीग्गाजी, वीर कल्लाजी , तेजाजी, डूंगजी-जवाहरजी, देवनारायणजी, पनराज जी, भौमिया जी, मल्ली नाथ जी …. आदि राजस्थान के लोकदेवता (Rajasthan ke lok Devta) । राजस्थान में चौहानों का इतिहास प्रसिद्ध है । चौहानों की उत्पत्ति के विषय में विद्वानों का अलग-अलग मत है । मिश्रित मूल का मत DP. चट्टोपाध्याय ने दिया । यह सर्वाधिक मान्यमत है । अजयराज चौहान ने 1113 में अजयमेरू दुर्ग की स्थापना की थी ।
राजस्थान की संस्कृति
राजस्था की संस्कृति में लोकनाट्य, लोकगीत …. आदि है । राजस्थान में कई त्यौहार मनाएँ जाते है । जिनमें होली, दीपावली, रक्षाबंधन, उबछट, तीज, बड़ीतीज ….. आदि प्रमुख है । त्यौहारों पर राजस्थान में लोकनृत्य किए जाते है । इनमें प्रमुख नृत्य घूमर (राजस्थान का राज्य नृत्य है ।), कच्छी घोड़ी, शंकरिया, चरी, तेरहताली ……… आदि । राजस्थान के लोग त्यौहार, व्रत, शादी, जन्म के अवसरों पर अपनी खुशी जाहिर करने के लिए प्रचलित लोकगीत है । जिन्हें राजस्थान के लोकगीत कहते है । इनमें लावणी, जच्चा, करंजा, जीरो, हरजस, भदावा, गणगौर ….. आदि लोकगीत है । लोकगीतों को गाते समय वाद्ययंत्र के साथ नृत्य करते है । महिलाएँ त्यौहारों पर नये नये वस्त्र और आभूषणों को धारण करती है । इन पर्वों पर महिलाएँ अपने कच्चे घरों पर चित्रकला का अंकन करती थी । जैसे जैसे समय का बदलाव हुआ वैसे वैसे ही हमारी रिति-रिवाजों पर बुरा प्रभाव पड़ा, जिससे आजकल हमारी माता बहिनें चित्रांकन करना तो दूर घर की साफ सफाई करनी की फुर्सत नहीं है । ऐसी कुव्यवस्था हो गई है । कुव्यवस्था से याद आया कि यह कुव्यवस्था आजकल से प्रचलित नहीं है, बल्कि यह कुव्यवस्था कभी कुप्रथाएँ के रूप में (डाकनप्रथा, समाधी प्रथा …. आदि) थी । करणी माता, कैला देवी, शीतला माता, जीण माता, शीलादेवी, आई माता, नारायणी माता, तनोट माता ….. आदि राजस्थान की लोक देवियाँ है । राजस्थान की प्रमुख सभ्यताओं में कालीबंगा सभ्यता, आहड़ सभ्यता, बायना सभ्यता, सोथी सभ्यता, सुनारी सभ्यता, कुराडा सभ्यता ….. आदि सभ्यताएँ है । कालीबंगा सभ्यता सबसे प्राचीन है ।
राजस्थान की क्रान्ति
अंग्रेजों ने भारत पर कई वर्षों तक राज किया । सम्पूर्ण भारत देश में अपनी स्वतंत्रता के लिए अंग्रेजों के विरोध में 1857 की क्रान्ति हुई तब राजस्थान ने भी अपनी भूमिका निभाई और राजस्थान से भी अंग्रेजों के खदेड़ने के लिए राजस्थान में आन्दोलन हुआ । उनमें से बिजौलिया किसान आन्दोलन, बेंगु किसान आन्दोलन, नीमूचाणा किसान आन्दोलन ….. आदि प्रमुख आन्दोलन है । इन आन्दोलनों में राजस्थान की जनजातियों ने भी अपनी उल्लेखनीय योगदान दिया था । क्रान्तिकारियों ने सर्वहितकारिणी सभा, पुत्री पाठशाला, मारवाड़ सेवा संघ, हिन्दी साहित्य समिति, सम्पसभा, परोपकारिणी सभा …. आदि आन्दोलनकारी संस्थाओं को गठित किया । राजस्थान समाचार पत्र, नवीन राजस्थान समाचार पत्र, तरूण समाचार पत्र जैसे समाचार-पत्र के द्वारा क्रान्तिकारियों के लोगों में क्रान्ति जगाने में मदद मिली ।
राजस्थान क्षैत्रिय वंश एवं इतिहास
विश्व की तरह राजस्थान में भी वंशावलियाँ चलने की परम्परा रही है । राजस्थान में क्षैत्रियों की कुछ वंशावलियों ने यहाँ पर राज किया । जिनमें कछवाह वंश, प्रतिहार वंश, यादव वंश और जाट वंश प्रमुख है । इनके शासनक्षेत्र मण्डोर, भीनमाल, भरतपुर, आबू, जयपुर ……आदि क्षेत्र है । बीकानेर का इतिहास और गुर्जरों ने भी राजस्थान में अपना इतिहास बनाया ।
महाराणा कुम्भा को दुर्गों का जनक और स्थपात्य कला का जनक कहा जाता है । क्योंकि महाराणा कुम्भा ने राजस्थान के दुर्गों में से 32 दुर्गों का निर्माण कर मेवाड़ का इतिहास में अपना नाम की एक अनोखी पंक्ति लिख दी । महाराणा कुम्भा के समान ही सवाई प्रताप सिंह ने भी राजस्थान में हवामहल बनाकर राजस्थान के प्रमुख महलों की लिस्ट में अपना नाम इतिहास में अंकित कर दिया । राजस्थान में और कई कई महल है । जिनमें जयनिवास, एक थम्बा महल, डीग महल, उम्मेद भवन, लालगढ़, सामोद का महल ….. आदि महल है ।
राजस्थान के संत,सम्प्रदाय
हमारे देश में कई ऐसे संत हुए जो वृक्षों के महत्त्व के बारें में जनजागृति करते थे । उनमें से एक हमारे राजस्थान में भी संत है । उनका नाम जाम्भोजी है । इनको गुंगा गहला उपनाम से भी पुकारते है । इन्होनें विश्नोई सम्प्रदाय की स्थापना की । जाम्भो जी के प्रमुख ग्रंथ जम्भसंहिता, जम्भ गीता, जम्भ वाणी और 120 शब्दवाणी है । इनकी भाषा (बोली) ठेठ (मरूभाषा) है अर्थात् अपने ग्रंथों में राजस्थानी शब्दावली का प्रयोग किया है । मारवाड़ के इतिहास में जाम्भो जी ने अपना इतिहास की रचना की । विश्नोई सम्प्रदाय के लोग सर्वाधिक मारवाड़ (जोधपुर) में है । कोलायत झील को पवित्र मानते है । यहाँ कपिल मुनि का कार्तिक पूर्णिमा के मेले– पशुमेला (उर्स/ महोत्सव) भरता है । यह कोलायत झील बीकानेर में है । चुरू और बीकानेर में कोई भी नदी नहीं बहती है । इसलिए बीकानेर में प्रमुख बावड़ियों में से एक भी बावड़ी नहीं है । जोधपुर के शासक अभयसिंह के शासनकाल में राजस्थान के प्रमुख वन को बचाने के लिए खेजड़ली ग्राम में अमृता देवी के नेतृत्व में 363 महिलाएँ शहीद हो गई । उद्योगों की वजह से वन कटाई तेजी से हो रही है । मानव इतना सभ्य इंसान बन गया है कि वह अपनी लोक कलाएँ खो रहा है और नगरीय स्वशासन में उलझता जा रहा है । उद्योगों की वजह से उपजाऊ मिट्टी पर बड़ी बड़ी हवेलियाँ बनाई जा रही है । लोग मन्दिर, मस्जिद, मीनार व स्तम्भ में जाने के बजाय सिक्कों और खनीज के पीछे भाग रहे है ।
राजस्थान की प्रशासनीक व्यवस्था
जिला प्रशासन, जिला कलेक्टर, उपखण्ड अधिकारी, तहसीलदार उपतहसीलदार कानूनगो पटवारी क्षेत्रीय प्रशासनिक अधिकारी का वरीयता क्रम, पुलिस प्रशासन, राजस्थान में पदाधिकारी है ।
राजस्थान सरकार की आय का प्रमुख स्रोतों में राजस्थान में पशुधन, प्रमुख मेले, पर्यटन स्थल, प्रमुख अभ्यारण, उर्जा, प्रमुख पशु-मेले है । इस आय से विधानमण्डल के द्वारा राजस्थान लोकसेवा आयोग, राज्य महिला आयोग, राजस्व मण्डल, राजस्थान कर बोर्ड, लोकायुक्त, राज्य निर्वाचन आयोग, राज्य वित्त आयोग, राजस्थान सिविल सेवा आयोग, सिंचाई परियोजनाएँ, सचिवालय, शिक्षा, राज्य मानवाधिकार आयोग, राजस्थान का प्रमुख मंत्रीमण्डल, विधान मण्डल, प्रमुख परिवहन, कृषि, सूचना आयोग, प्रमुख संगीत संस्थान, RSMSSB (Rajasthan Staff Selection Board Jaipur) है ।
विशेष तथ्य
राजस्थान प्रथम पंचायतीराज राज्य बना । हीरा लाल शास्त्री राजस्थान में प्रथम व्यक्ति है, जो राजस्थान के प्रथम मुख्यमंत्री बने । राजस्थान के प्रथम महिला राज्यपाल प्रतिभा पाटिल बनी । राजस्थान विधानसभा में प्रथम व्यक्ति मुख्य सचेतक मथुरा दास माथुर थे । राजस्थान के प्रथम मुख्य सचिव के राधा कृष्णन है । प्रथम ध्रुपद गायिका मधुभट्ट तेलंग है । प्रथम पुलिस महानिरक्षक (IGP) पी. बनर्जी है । प्रथम पुलिस महानिदेशक (DGP) रघुनाथ सिंह है । राजस्थान उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश कमल कान्त वर्मा है । राजस्थान विधानसभा में मनोनित प्रथम राजस्थानी नारायण सिंह माणकराव है । राजस्थान की प्रमुख महिला मंत्री कमला बेनीवाल है, जो राजस्थान की प्रमुख नारियों में से एक है । राजस्थान के मनोनीत प्रथम मनोनित मुख्यमंत्री हीरालालशास्त्री है । राजस्थान के प्रथम निर्वाचित मुख्यमंत्री टीकाराम पालीवाल है । प्रथम महिला मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे है । राजस्थान का द्रोणाचार्य प्रथम पुरस्कार करण सिंह (एथेलेटिक्स) को दिया गया ।
Quiz मेवाड़ का इतिहास-खानवा का युद्ध ,मेवाड़ का इतिहास, रणथम्भोर दुर्ग, सिवाणा दुर्ग, आमेर दुर्ग, कुम्भलगढ़ दुर्ग, तारागढ़ दुर्ग, चित्तौड़गढ़ दुर्ग, राजस्थान की प्रमुख छतरियाँ,